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झारखंड की अपार खनिज एवं वन संपदा पर कॉरपोरेट उद्यम घरानों की गिद्ध दृष्टि हमेशा रही है। सरकार के साथ इनकी सांठ गांठ साबित होती रही है। यहां के भूखंडों के मालिक आम आदिवासी सीधे सादे लोग हैं। स्टेन स्वामी जैसे कई लोग इन आदिवासियों के हितों के लिये लंबा संघर्ष करते रहे हैं। जाहिर वे सरकार और कारपोरेट की मनमानी की राह में बड़ी बाधाएं हैं। इसलिए तो स्टेन स्वामी कह रहे हैंः
'सरकार मुझे रास्ते से हटा देना चाहती है.. भीमा कोरेगांव हिंसा में मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है फिर भी पुलिस बेवजह मुझे परेशान कर रही है।'
और क्या कुछ कहा स्टेन स्वामी नेः
- हाई कोर्ट ने साफ कहा है मेरे खिलाफ पुलिस के पास सबूत नहीं है..
- मेरे खिलाफ मामला तब शुरू हुआ जब मैंने झारखंड की जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों के खिलाफ सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की..
- सरकार आदिवासियों को बांटना चाह रही है, सरना और ईसाई के नाम पर.. यहां तक कि एक दूसरे के खिलाफ संघर्ष के लिए उकसा रही है..
- अधिकांश आदिवासी विधायक सांसद बिक चुके हैं..
- निचली अदालत पर अब भरोसा नहीं, आशा है उच्च अदालतों से!
- तीन दशकों से झारखंड के आदिवासियों के बीच रह रहे 82 वर्षीय स्टेन स्वामी कौन हैं? ..जानिये इस खास इंटरव्यू में।