अर्जुन मुंडा के कटु बोल : 2019 की भाजपाई नैया में एक और छेद!

by admin on Fri, 06/15/2018 - 10:02

चार साल के शासन के दौरान स्वयं भाजपा में विक्षुब्धों के बोल खूब फूट रहे हैं। यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद, आदि के बाद अब झारखंड से अर्जुन मुंडा के बोल भी अपनी ही सरकार के खिलाफ कटु होते जा रहे हैं। झारखंड में मुख्यमंत्री रहे भाजपा के अर्जुन मुंडा वर्तमान रघुवर सरकार की प्रशासनिक प्रणाली और नीतियों से नाखुश हैं। वह कहते हैं, समाज का एक बड़ा वर्ग अलग-थलग पड़ता जा रहा है। इसका प्रतिकूल असर आनेवाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दिख सकता है।

रांची से प्रकाशित हिंदी दैनिक ‘प्रभात खबर’ के साथ एक इंटरव्यू में, खासकर आदिवासियों के मुद्दे पर, वह खूब बोले। इन दिनों, आसपास के राज्यों सहित झारखंड के कई जिलों में आदिवासियों द्वारा चलाये जा रहे पत्थलगड़ी आंदोलन पर सरकार की अक्षमता को इंगित करते हुए उन्होंचने तत्काल हल निकालने को कहा, इससे पहले कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए।

मुंडा ने स्थानीय नीति पर राज्य सरकार की पहल को अनावश्यक हड़बड़ी बताया। शिड्युल एरिया में रघुवर सरकार द्वारा गठित की जा रही आदिवासी विकास समितियों को मुंडा ने ‘असंवैधानिक’ करार दिया। राज्य में बढ़ते व्यापक असंतोष, आक्रोश और दहशत की चर्चा करते हुए मुंडा इसका कारण संवादहीनता बताते हैं- जनता, सरकार और पार्टी के बीच।

अब एक सवाल जो अर्जुन मुंडा से पूछा जाना चाहिए था.. ‘आप तो तीन तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बनाये गए। पर्याप्त अनुभवी कहे जाएंगे। क्या, इससे पहले, उपरोक्त मसलों पर आपने सरकार को अपनी सलाह दी? क्या पार्टी में इन विषयों पर जिरह की गई?..’

आशा की जानी चाहिए कि अखबार में इंटरव्यू देने से पहले अर्जुन मुंडा ने अपनी सरकार और अपनी पार्टी के आलाकमान को सलाह और समाधान अवश्य बताया होगा, और वहां नजरंदाज किये जाने के बाद ही प्रेस-मीडिया में पहुंचे होंगे।

अर्जुन मुंडा भाजपा में एक कद्दावर नेता रहे हैं। झारखंड में सबल नेतृत्व वाला आदिवासी चेहरा भी। लेकिन वर्तमान रघुवर सरकार में उपेक्षित!.. नतीजन, उनका यह कड़वा बोल भले ही उनके लिए मुश्किल खड़ी करे लेकिन टाइमिंग को देखते हुए यह स्थिति भाजपा के लिए अहित करनेवाली है। तत्काल ‘मेन्टेनेंस’ नहीं किया गया तो 2019 की भाजपाई नैया की पेंदी में एक और छेद रोकना मुश्किल होगा।

- किसलय

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