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झारखंड के युवा आदिवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने अब तक करीब दो दर्जन पुस्तकें लिखी हैं। इनमें चार अंग्रेजी पुस्तकें हैं। इनकी अगली पुस्तक अगले 2 महीने में प्रकाशित होने वाली है। क्रांतिकारी विचारों वाले ग्लैडसन अक्सर सत्ताधीशों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। झारखंड की भाजपा सरकार के खिलाफ इनकी आक्रामकता अक्सर सोशल मीडिया में देखी जाती है। Fact Fold के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार किसलय के साथ ग्लैडसन ने लंबी बातचीत की। इस बातचीत का पहला भाग हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। ग्लैडसन से खफा सत्ता में बैठी सरकारें उनके बारे में कई तरह की धारणाएं बना उन पर कार्रवाई करती रही है। युवा आदिवासियों में लोकप्रिय ग्लैडसन को कभी कांग्रेस का एजेंट तो कभी ईसाई मशीनरीओं का माउथपीस कहा गया, बावजूद इसके ग्लैडसन की ख्याति बढ़ती गई। पिछले कई वर्षों से ग्लैडसन साल में दो तीन बार विदेशी संगठनों के आमंत्रण पर देश से बाहर व्याख्यान देते रहे हैं। बातचीत के इस पहले अंक में ग्लैडसन असहिष्णुता का मुद्दा उठा रहे हैं। साथ ही झारखंड की रघुवर सरकार की नाकामियों को खुलकर उजागर करने की कोशिश करते हैं। ग्लैडसन से कई कड़वे सवाल पूछे गए। क्या कहा उन्होंने, आप भी सुनिए..