मक्का मस्जिद मामले में फैसला देने के बाद न्यायाधीश का इस्तीफा

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हैदराबाद: हैदराबाद की मक्का मस्जिद में 11 साल पहले हुए बम विस्फोट के मामले में पांच दक्षिणपंथी हिंदू कार्यकर्ताओं को बरी करने के कुछ घंटों बाद ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत के न्यायाधीश के. रविंदर रेड्डी ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। सूत्रों के अनुसार, महानगर सत्र न्यायालय के चौथे न्यायाधीश रेड्डी ने हैदराबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजे अपने इस्तीफे में इसके लिए निजी कारण बताया है।

फिलहाल इसकी कोई जानकारी नहीं हो सकी है कि उनके इस्तीफे का संबंध मस्जिद विस्फोट मामले की सुनवाई से था या किसी अन्य मुद्दे से।

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच न्यायाधीशों के बंटवारे के खिलाफ प्रदर्शन करने तथा तेलंगाना में एक अलग उच्च न्यायालय का गठन करने की मांग करने के कारण तेलंगाना न्यायाधीश एसोसिएशन के अध्यक्ष रविंदर रेड्डी को कुछ अन्य न्यायाधीशों के साथ उच्च न्यायालय ने 2016 में निलंबित कर दिया था।

हैदराबाद की ऐतिहासिक मस्जिद में 18 मई, 2007 को जुमे की नमाज के दौरान हुए विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी, तथा 58 अन्य लोग घायल हो गए थे।

मक्का मस्जिद विस्फोट मामले के सभी आरोपी बरी

हैदराबाद: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक अदालत ने 2007 में मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट मामले के सभी पांचों आरोपियों को सोमवार को बरी कर दिया। 18 मई 2007 को प्रतिष्ठित चारमीनार के पास स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान शक्तिशाली विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के 11 साल बाद अदालत ने पाया है कि इन अभियुक्त में किसी के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है।

अदालत ने असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, भरतभाई और राजेंद्र चौधरी को बरी कर दिया गया है। इन पर एनआईए ने आरोप लगाया था।

आरोपी में से एक के वकील ने नामपल्ली आपराधिक अदालत के बाहर कहा कि अदालत ने यह माना कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा है। 

पुलिस को घटनास्थल से दो विस्फोटक भी मिले थे। विस्फोट के बाद मस्जिद के बाहर भीड़ पर पुलिस की गोलीबारी से पांच अन्य लोग भी मारे गए थे।

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