एक साल का होने को है खजांची, नोटबंदी के दौरान बैंक की सीढ़ियों पर हुआ था पैदा

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नोटबंदी के एक साल पूरा होने के साथ साथ खजांची भी एक साल का होने को है। पिछले साल सर्दियों की सुबह 2 दिसंबर 2016 को कानपुर देहात के झिंझक की रहने वाली सर्वेसा देवी बैंक में अपने पैसे निकालने गई। करीब 5 घंटे तक लाइन में खड़ी रही। वह गर्भवती थी। लाइन में लगे लोगों से उस महिला ने अपनी तकलीफ बताई। लेकिन वहां खड़े लोग सभी लोग तकलीफ में थे और उस गरीब महिला को किसी ने लाइन तोड़कर पहले पैसे निकालने की अनुमति नहीं दी।

इस घटना इस बात का प्रमाण है कि नोटबंदी ने थोड़े समय के लिए ही सही, लेकिन करोड़ों लोगों की इंसानियत को मुल्तवी कर दिया था और लोगों से उनकी मासूमियत छीन ली थी।

आखिरकार जब वह बैंक के भीतर घुसने के लिए सीढ़ियों तक पहुंचने वाली थी, पेट में तेज दर्द उठा और वहीं बैठ गई। करीब 4 बजे उसने सीढ़ियों पर ही बच्चे को जन्म दिया, जिसमें उसकी सास ही उसकी डॉक्टर बनीं जिन्होंने बच्चे के जन्म लेने में मदद की। वह बताती है कि उस समय कोई बैंक कर्मी मदद के लिए सामने नहीं आया।
 
बैंक की सीढ़ियों पर जन्म होने की वजह से बच्चे का नाम खजांची रखा गया है। वह एक साल का होने को है।

टाइम्स आफ इंडिया की खबर के मुताबिक महिला के परिवार को तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने पढ़ाई लिखाई के खर्च के लिए 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी थी। हालांकि वह धन पढ़ाई पर खर्च नहीं हो रहा, बल्कि गरीब परिवार अन्य मद में पहले ही 75,000 रुपये खर्च कर चुका है।
 
झिंझक गांव के रहने वाले लोग भले ही समय बीतने के साथ नोटबंदी की घटना को भूल जाएं, लेकिन खजांची उन्हें नोटबंदी की याद दिलाता रहेगा। खजांची के पिता मजदूर थे, जिनकी मौत खजांची के जन्म के 6 महीने पहले ही टीबी से हो चुकी थी। उसकी मां को पोलियो है, जो खजांची और उसकी 4 बड़े भाई बहनों के पालन पोषण के लिए मजदूरी करती है। सर्वेसा देवी सपेरा समाज से है।
 
बैंक प्रबंधक सुनील कुमार चौधरी को अभी वह दिन याद है। वह बताते है कि उस रोज बैंक के सामने 400-500 लोग लाइन में खड़े थे। शाखा में जबरदस्त अफरातफरी थी और बैंक कर्मचारी किसी तरह से बैंक का कामकाज कर रहे थे और जल्द से जल्द ग्राहकों का काम निपटाने की कवायद में थे।
 
उन्होंने बताया कि जैसे ही हमें इस घटना की जानकारी मिली, जल्द से जल्द हमने उस महिला को धन जारी कर दिया। बैंक के कर्मचारी बाद में बच्चे के गांव गए औऱ उन्होंने 5,000 रुपये की एफडी और कुछ खिलौने  भेंट किए। (साभार: सबरंग)

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