‘संतोषी की मौत के लिए झारखंड की मुख्‍य सचिव दोषी, मृतक के परिजनों को जान का खतरा’

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रांची: भोजन का अधिकार अभियान और नरेगा वॉच से जुड़े कार्यकर्ताओं ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करके सिमडेगा की 11 वर्षीया संतोषी की मौत के लिए झारखंड की मुख्‍य सचिव को जिम्‍मेवार बताते हुए उनपर कार्रवाई की मांग की है। कार्यकर्ताओं ने रांची के एक्‍सआईएसएस परिसर में आयोजित अपने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में संतोषी के परिजनों एवं नरेगा वॉच की कार्यकर्ता तारामणि साहू के जान पर खतरा की आशंका जताते हुए शासन से उनकी सुरक्षा की मांग भी की है। प्रेस कॉन्‍फ्रेंस को अशर्फीनंद प्रसाद, जवाहर मेहता, तारामणि साहू, आकाश रंजन एवं धीरज कुमार संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर अर्थशास्‍त्री डॉ ज्‍यां द्रेज, बलराम, आदि भी मौजूद थे।

कार्यकर्ताओं का मानना है कि झारखंड की मुख्‍य सचिव राजबाला वर्मा ने मई में विडियो कान्‍फ्रेंसिंग के जरिये राज्‍य भर के जिला प्रशासन को निर्देश दिया था कि जिसके पास आधार कार्ड नहीं है उसका राशन कार्ड रद्द कर दिया जाए। नतीजे के तौर राज्‍य के करीब साढ़े ग्‍यारह लाख गरीबों का राशन कार्ड रद्द कर दिया गया। इसे राज्‍य प्रशासन ने अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश किया, यही नहीं रघुवर सरकार के 1000 दिन पूरे होने के अवसर पर भी इस कार्रवाई को उपलब्धि के तौर पर बढ़ा चढ़ा कर जनता में प्रसारित किया गया। इसी क्रम में संतोषी के परिजनों का भी राशन कार्ड रदद् कर दिया गया जिससे कई महीनों से उस परिवार को राशन मिलना बंद था। हालांकि अब यह स्‍पष्‍ट हो चुका है कि सर्वोच्‍च न्‍याया‍लय के ओदश के आलोक में राशन कार्ड के लिए आधार होना कतई जरूरी नहीं है। इस बाबत पिछले दिनों रघुवर सरकार के ही खाद्य आपूर्ति मंत्री भी मुख्‍य सचिव पर निशाना साध चुके हैं।

दरअसल, पूरा मामला इस प्रकार है। सिमडेगा जिला के जलडेगा प्रखंड के पतिअम्‍बा पंचायत के कारीमाटी गांव की निवासी कोईली देवी की 11 वर्षीया बेटी की 28 सितंबर को मौत हो गई थी। कोईली देवी का कहना था कि पिछले चार पांच रोज से संतोषी के पेट में अनाज का एक दाना भी नहीं गया था और वह ‘भात भात कहते कहते’ दम तोड़ गई। इस घटना की खबर अक्‍टूबर के आरंभिक सप्‍ताह में स्‍थानीय अखबारों में छपी तो शासन की नींद टूटी। अफरा तफरी में जांच करके घोषणा कर दी गई कि संतोषी की मौत भूख से नहीं मलेरिया से हुई है। लेकिन तबतक मामला देश विदेश में आग की तरह फैल चुका था। केंद्र सरकार ने भी संज्ञान लेते हुए चंद रोज पहले एक जांच दल झारखंड भेजा। लेकिन मौसम की खराबी बताकर अधिकारियों का वह जांच दल भी सिमडेगा गए बिना स्‍थानीय अखबारों को बता दिया कि संतोषी की मौत वाकई मलेरिया से हुई है।

इस घटना पर नरेगा वॉच और भोजन का अधिकार अभियान का दल संतोषी के परिजनों एवं संबंधित अधिकारियों से मिला। जांच दल ने गांव की उस एएनएम माला देवी से भी पूछताछ की जिसने बताया कि संतोषी को मलेरिया नहीं था। हालांकि माला देवी को प्रशासन ने सेवा से निलंबित कर दिया है। कार्यकर्ताओं का दावा है कि उक्‍त गांव के ग्रामीणों के राशन कार्ड रद्द होने और उनकी बदहाल स्थिति को लेकर कुछ समय पहले ही उन्‍होंने डीसी के जनता दरबार में गुहार लगायी थी। लेकिन प्रशासन नहीं चेता। ‘और संतोषी भात भात कहते चल बसी!’

प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कार्यकताओं ने पांच सूत्री मांग रखी है जिसमें मुख्‍य सचिव और विभागीय सचिव पर कार्रवाई की मांग, तमाम जरूरतमंद लोगों के राशन कार्ड को चालू करना जिन्‍हें रद्द कर दिया गया है, राशन वितरण प्रणाली में ईपॉस और ऑनलाइन सिस्‍टम निरस्‍त करना, संतोषी के परिजनों एवं कार्यकर्ता तारामणि की सुरक्षा की मांग शामिल है।

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