इंटरनेट वुमेनिया गीता यथार्थ यादव को फेसबुक ने पोस्ट करने से क्यों रोका?

by admin on Tue, 05/29/2018 - 11:44

सोशल मीडिया की एक बड़ी खबर ये है कि सोशल मीडिया एक्टिविस्ट गीता यथार्थ (गीता यादव) की आई डी रिपोर्ट करके उसे 3 दिन के लिए पोस्ट/शेयर/लाइक/कमेंट करने से रोक दिया गया है। 

गीता यादव मुख्य रूप से महिला मुद्दों और मीडिया लिट्रेसी पर लिखती है। उनका चलाये हैशटैग #NaturalSelfie #MeriRaatMeriSadak #FightAgainstRape काफी लोकप्रिय रहे है। #NaturalSelfie हैशटैग के तहत हजारों महिलों ने बिना मेकअप के अपनी फोटो फेसबुक पर शेयर की।   

#meriraatmerisadak ने प्रोटेस्ट का रूप ले लिया जब 20-22 शहरों में लड़कियां रात में इस हैशटैग के साथ सड़कों पर उतरी और सड़कों को सुरक्षित करने की मांग की। #FightAgainstRape से दिल्ली, फरीदाबाद, रोहतक जैसे कई शहरों में बलात्कार के खिलाफ लड़कियों ने सड़को पर आकर जागरूकता फैलाई। सोशल मीडिया द्वारा लोगों को एकजुट करके सड़क पर कैसे उतरा जा सकता है ये गीता यादव बखूबी जानती है।  

मौजूदा मामला ये है कि पिछले दिनों दिल्ली के एक नामी स्कूल में जब प्रिसिपल ने लड़कियों को खास कलर की ब्रा पहन कर आने को कहा, ताकि लड़के उत्तेजित न हों, तो गीता यथार्थ ने इसका विरोध किया।

इसके बाद से संघी ट्रोल गीता पर टूट पड़े। हजारों की संख्या में उन्हें टैग करके गालियां दी गईं। जो नहीं कहा जाना चाहिए, वह सब कहा।

लेकिन गीता यादव ने लिखना बंद नहीं किया।

आखिरी उपाय के तौर पर ट्रोल करने वालों ने ही गीता यादव की पोस्ट को रिपोर्ट करके उनके पोस्ट करने पर तीन दिन के लिए रोक लगवा दी।

सवाल उठता है कि -

1। क्या फेसबुक यह नहीं देखेगा कि शिकायत करने वाले कौन हैं और वे खुद क्या पोस्ट करते हैं? शिकायत करने से पहले उन्होंने जो मां-बहन की गालियां दी हैं, उसका क्या होगा? क्या माँ बहन कि गाली देकर लड़कियों को ह्रास करने वाले लोग ही रिपोर्ट करके किसी की आईडी बंद करवा सकते है। 
2। क्या फेसबुक उस पोस्ट के गुण-दोष को नहीं देखेगा, जिसके बारे में रिपोर्ट की जा रही है।
3। क्या दो-तीन सौ लोगों का गिरोह मिलकर किसी की भी पोस्ट को रिपोर्ट कर दे तो फेसबुक एक्शन ले लेगा?
4। क्या ये एक्शन संघियों के खिलाफ भी हो सकता है, अगर कोई तीन सौ लोग उसके खिलाफ रिपोर्ट कर दें?

फेसबुक इंडिया के अधिकारियों को तत्काल अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।

महिलाओं ने पहली बार लिखना शुरू किया है। अगर उनकी बातें कड़वी लग रही हैं, तो भी सुनना चाहिए।
अगर उनकी आवाज इस तरह दबा दी गई तो फिर इन समस्याओं पर कौन लिखेगा।
आप दोस्तों से भी अनुरोध है कि इस पोस्ट को शेयर करें और बताएं कि बोलने की आजादी जरूरी है।
महिलाओं के बोलने की आजादी तो बेहद जरूरी है। (साभार: सबरंग)

Sections