नई दिल्ली: देश के विभिन्न हिस्सों में खतरनाक रूप लेते वीडियो गेम ‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ के खतरे से लोग सहमे हुए है। एक ओर दिल्ली हाई कोर्ट ने युवा एवं किशोरों द्वारा ऑनलाइन गेम ब्लू व्हेल चैलेंज खेलते हुए खुदकुशी करने की घटनाओं पर हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर लोग इससे इतना प्रभावित कैसे हो जाते हैं। वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ब्लू व्हेल गेम के खतरे को देखते हुए बड़ा कदम उठाया है। सीबीएसई ने स्कूलों को स्कूल बसों में इंटरनेट और डिजिटल टेक्नोलॉजी के सुरक्षित व प्रभावी इस्तेमाल के लिए 18 सूत्री दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
सीबीएसई के तमाम स्कूलों में आईपैड, लैपटॉप, टैबलेट को प्रतिबंधित कर दिया है। स्कूलों को भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के सुरक्षित उपयोग पर पॉलिसी बनाने और उसे लागू करने के लिए कहा है। बोर्ड ने आदेश में कहा है, किसी भी तरह के गैजेट का प्रयोग यदि शैक्षणिक कार्यों में आवश्यक हो तो उसे बिना मंजूरी और वेरिफिकेशन के न किया जाए। मप्र शिक्षा विभाग पहले ही ब्लू व्हेल गेम को लेकर सरकारी स्कूलों के लिए गाइडलाइंस जारी कर चुका है। इसमें शिक्षकों के साथ अभिभावकों को बच्चों की निगरानी करने के साथ ब्लू व्हेल गेम खेलने से रोकने के उपाय करने को कहा था।
सीबीएसई ने कहा कि बच्चे इंटरनेट पर सही चीजों का इस्तेमाल करें, इसकी जिम्मेदारी प्रबंधन की है। यदि वे इंटरनेट पर साइबर बुलिंग, धोखाधड़ी या दुव्र्यवहार, शिकार हो तो प्रबंधन तुंरत इसके खिलाफ कदम उठाए। सीबीएसई ने ये भी साफ तौर पर कह दिया है कि यदि बोर्ड के निर्देशों का किसी भी स्कूल में उल्लंघन किया तो तुरंत ही कार्रवाई की जाएगी। ऐसा अनुमान है कि बच्चों को ब्लू व्हले गेम से दूर रखने और बचाने के लिए सीबीएसई ने स्कूलों को इस तरह के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।