जम्‍मू-कश्‍मीर में राष्‍ट्रपति नहीं राज्‍यपाल शासन लगता है, आखिर क्‍यों?

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जम्‍मू कश्‍मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कोई भी दल सरकार बनाने के लिए गठबंधन करने को तैयार नहीं है। ऐसे में सूबे में राज्‍यपाल शासन लगना तय हो गया है। जम्‍मू-कश्‍मीर में भारत के अन्‍य राज्‍यों की तरह राष्‍ट्रपति शासन नहीं लगता है। भारत के अन्य राज्यों में प्रदेश सरकार के विफल रहने पर राष्ट्रपति शासन लागू होता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का शासन लगाया जाता है।

जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में छह माह के लिए राज्यपाल शासन लागू किया जा सकता है लेकिन ऐसा राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही हो सकता है। भारत का संविधान जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता है और यह देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके पास अलग संविधान और नियम हैं। देश के अन्य राज्यों में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।

राज्यपाल शासन के अंतर्गत राज्य विधानसभा या तो निलंबित रहती है या उसे भंग कर दिया जाता है। अगर छह माह के भीतर राज्य में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पाती है तो इस व्यवस्था की मियाद को बढ़ाया जा सकता है।

वर्तमान में जम्‍मू कश्‍मीर के राज्‍यपाल एनएन वोहरा हैं। वोहरा को जून 2008 में राज्यपाल नियुक्त किया गया था और उन्हें 2013 में फिर से राज्यपाल का कार्यभार सौंपा गया था। वह उन चुनिंदा राज्यपालों में से एक है जिन्हें संप्रग सरकार ने नियुक्त किया था और जो भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार में भी अपने पद पर बने हुए हैं।

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