नई दिल्ली : आईएएस अधिकारियों की कथित हड़ताल को खत्म कराने और डोर स्टेप योजना को लेकर एलजी ऑफिस में धरने पर बैठे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी कैबिनेट मंत्रियों के समर्थन में अब महाराष्ट्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना भी आ गई है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने एनबीटी से खास
बातचीत में कहा कि सरकार, सरकार होती है चाहे वह किसी भी पार्टी की हो। लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक चुनी हुई सरकार को पूरा अधिकार होना चाहिए, नहीं तो लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
राउत ने आगे कहा कि शिवसेना का भले ही अरविंद केजरीवाल या उनकी पार्टी से मतभेद हो सकता है लेकिन वह एक चुनी हुई सरकार के प्रतिनिधि हैं और भारी बहुमत से जीतकर आए हैं। संजय राउत ने आगे कहा कि कहा कि अगर देश को नौकरशाह चलाने लगे तो लोकतंत्र ही खत्म हो जाएगा। संजय राउत ने कहा कि अधिकारियों को कोई चुनाव नहीं लड़ना होता है, हम चुनाव लड़ते हैं और हमें जनता के बीच अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर जाना होता है। उन्होंने कहा कि इसलिए मेरी पार्टी चुनी हुई सरकार के साथ है।
तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी डीएमके के कार्यवाहक अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने भी केजरीवाल को अपना समर्थन जताया है। उन्होंने शनिवार रात ट्वीट किया, 'मैं दिल्ली के एलजी द्वारा अरविंद केजरीवाल जैसे मुख्यमंत्री का तिरस्कार किए जाने से हैरान हूं। बीजेपी अग्र-सक्रिय रूप से देश के संघीय ढांचे को नष्ट कर रही है। मैं मुख्यमंत्री के प्रति अपना समर्थन जताता हूं जो कि राज्य के अधिकार के लिए खड़े हैं।'
उल्लेखनीय है कि इससे पहले विभिन्न राजनीतिक दलों ने दिल्ली के सीएम के धरने को जायज ठहराते हुए इसका समर्थन किया है। इसी क्रम में शनिवार को चार राज्यों- पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश का साथ जताने के लिए उनके आवास पहुंचे। उन्होंने शनिवार रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि दिल्ली में उपजे इस संकट को लेकर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गई बातों के अनुरूप उन्होंने रविवार को नीति आयोग की बैठक से इतर पीएम से इस मुद्दे का जिक्र कर आप और एलजी विवाद को सुलझाने की अपील की।
आप के संयोजक केजरीवाल और दिल्ली कैबिनेट के तीन मंत्री जहां छह दिनों से हड़ताल पर हैं वहीं अब खुद आईएएस अधिकारियों ने उन पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दिल्ली सरकार पर पलटवार किया है। उनका कहना है कि वे हड़ताल पर नहीं हैं और पूरी ईमानदारी तथा समर्पण के साथ अपना काम कर रहे हैं, जबकि उन्हें राजनीतिक हित के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।