कठुआ कांड : ‘कोटखाई की गुड़िया की तरह मामला न दब जाए’

नई दिल्ली: कठुआ और उन्नाव में सामूहिक दुष्कर्म के मामले उस लंबी-चौड़ी फेहरिस्त में शामिल हो गए हैं, जो प्रशासन के झूठे दावों की पोल खोल रहे हैं। देश में न बेटी सुरक्षित है और ना ही उस बेटी के लिए न्याय की गुहार लगाने वाला पिता। पार्टियां सियासत के लिए हर मुद्दे की आंच पर राजनीतिक रोटियां सेकने की होड़ में रहती हैं, तभी तो दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध पर भी जमकर राजनीति हो रही है, जो रह रहकर कोटखाई (शिमला) के गुड़िया कांड की याद दिला देता है। 

कठुआ कांड को लेकर हुक्मरान पार्टी से लेकर तमाम विपक्षी दलों की महिला नेताओं ने आईएएनएस से बातचीत में एक ही सुर दोहराया है कि किसी भी सभ्य समाज में महिला की अस्मिता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं है लेकिन आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के पॉस्को एक्ट में बदलाव के बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता एवं नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी विपक्ष पर ठीकरा फोड़ते हुए कहती हैं, “इस तरह के जघन्य अपराध एक सभ्य समाज में बर्दाश्त नहीं है। हम यकीनन दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे लेकिन विपक्षी पार्टियों को भी इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।”

लेखी की विपक्ष को सलाह पर कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पार्टी के संचार विभाग की संयोजक प्रियंका चतुर्वेदी गुस्से भरे लहजे में कहती हैं, “भाजपा के नेता किस मुंह से विपक्ष को सलाह दे रहे हैं कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करें, जबकि हकीकत यह है कि भाजपा की नीयत शुरू से ही संवेदनशील मुद्दों पर ध्रुवीकरण वोट बटोरने की रही है। निर्भया कांड के वक्त भी पार्टी ने बड़ी-बड़ी बातें की गई थी। मेनका गांधी जी ने जो पॉस्को एक्ट में बदलाव करने का झुनझुना इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ही पकड़ाया है वरना कठुआ जैसे जघन्यतम अपराधों के लिए तो शुरू से ही मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है।”

उन्नाव कांड का उल्लेख करते हुए प्रियंका कहती हैं, “जिस पार्टी के नेता खुद दुष्कर्म जैसे संगीन आरोपों में घिरे हों, ऐसी पार्टी से न्याय की उम्मीद करना बेमानी है।”

महिलाओं को राजनीति में 50 फीसदी आरक्षण की झंडाबरदार मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता बृंदा करात ने कहा, “सैद्धांतिक रूप से हम मृत्युदंड के खिलाफ हैं लेकिन भाजपा नेताओं के हाल के बयान दुष्कर्मियों को बचाने के लिए ध्यान भटकाने के इरादे से किए गए हैं। मुख्य मुद्दा यह है कि इन आरोपियों को भाजपा ही संरक्षण दे रही हैं।”

आरोपियों को संरक्षण देने की बात आगे बढ़ाते हुए समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता एवं उत्तर प्रदेश के महिला मोर्चा की अध्यक्ष जूही सिंह सीधे तौर पर भाजपा पर ठीकरा फोड़ते हुए कहती हैं,”इस सरकार (भाजपा) को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। देशभर में बच्चियों से लेकर हर उम्र की महिलाओं की आबरू लूटी जा रही है और सरकार तमाशबीन बनी हुई है। ऐसी सरकार का क्या काम, जो पीड़िता को न्याय ही नहीं दिला सके।”

आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा कहती हैं, “मोदी सरकार से न्याय की उम्मीद लगाकर बैठने वाले बेवकूफ होंगे। इन्हीं की पार्टी के नेता खुद दुष्कर्म के मामले में आरोपी हैं और इसी पार्टी के नेता इस तरह के बेहूदा बयान दे रहे हैं कि भला तीन बच्चों की मां के साथ दुष्कर्म होता है क्या? ऐसी ढीठ सरकार से उम्मीद लगाना बेवकूफी ही होगी।” 

अलका लांबा भाजपा नेता सुरेंद्र कुमार के उस बयान का उल्लेख कर रही धीं, जिसमें भाजपाई नेता ने कहा था कि भला तीन बच्चों की मां से भी रेप हो सकता है क्या? 

बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को छह माह के भीतर फांसी की सजा के लिए लंबे समय से बिगुल बजा रही दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल अपने आंदोलनों के बाद राजघाट पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हैं और अपनी इस मुहिम को कारगर बनाने के हरसंभव प्रयत्न कर रही हैं।

इससे ज्यादा शर्मनाक क्या होगा कि बच्चियों के साथ दुष्कर्म पर भी राजनीति की जा रही है। अब तो बस उम्मीद की जानी चाहिए कि कठुआ की आसिफा के मामले को कोटखाई (शिमला) की गुड़िया की तरह दबा न दिया जाए। –रीतू तोमर

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