नई दिल्ली: राज्यसभा में अप्रैल के बाद संख्या के खेल और किसी भी सरकारी विधेयक को रोकने के मामले में विपक्ष की धार कम हो सकती है और इस मामले में भाजपा नेतृत्व वाला राजग अपने विरोधियों से काफी बेहतर स्थिति में हो सकता है।
अप्रैल में 58 सांसदों के सेवानिवृत्त होने के साथ ही राज्यसभा के गणित में बदलाव होना तय है। इससे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को लाभ होगा और राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिले मजबूत बहुमतों को देखते हुए राज्यसभा चुनाव में भी यही स्थिति कायम रह सकती है।
इसी के साथ, जहां कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्ष की संख्या 123 से कम होकर करीब 115 रहने की संभावना है, तो वहीं भाजपा, उसके गठबंधन सहयोगियों और समर्थकों का कुल आंकड़ा वर्तमान के 100 से बढ़कर 109 हो सकता है।
और यह फर्क, जो एक समय इतना था, जिसके कारण विपक्ष को अपना पक्ष रखने का मौका मिलता था, आने वाले महीनों में और कम होगा।
सेवानिवृत्त होने जा रहे 55 सदस्यों में से 30 विपक्षी खेमे के हैं, जबकि 24 भाजपा और उसके सहयोगियों के हैं। उनमें से राजग के कई उम्मीदवार सदन में वापस लौटेंगे, जबकि विपक्ष के कई सदस्य चले जाएंगे।
वर्तमान स्थिति में सदन के 233 निर्वाचित सदस्यों (12 नामांकित सदस्यों के अलावा) में से कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्ष के 123 सांसद हैं, जबकि राजग के 83 सदस्य हैं (भाजपा के 58) और चार निर्दलीय सदस्य भी हैं, जो भाजपा के समर्थक हैं, जो कि राजीव चंद्रशेखर, सुभाष चंद्रा, संजय दत्तात्रेय काकाडे और अमर सिंह हैं।
इसके अलावा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके), जिसके राज्यसभा में 13 सदस्य हैं, वे भी राजग के साथ हैं। इसका अर्थ यह है कि संसद के ऊपरी सदन में राजग के समर्थन में 100 सदस्य हैं।
यह अंतर कुछ महीने पहले और अधिक था। इसका अर्थ यह है कि राज्यसभा में विधेयकों और प्रमुख मुद्दों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच किसी भी प्रकार की बहस की स्थिति में विपक्ष का पलड़ा भारी था। इसका हालिया उदाहरण तीन तलाक विधेयक है, जिसे विपक्ष ने ऊपरी सदन में रोक दिया था।
राज्यसभा में विपक्ष के बहुमत के कारण नरेंद्र मोदी सरकार को कई मामलों में मुंह की खानी पड़ी और सदन में संघर्ष की स्थिति से बचने के लिए उसे कई बार धन विधेयक का सहारा लेना पड़ा। संविधान के तहत धन विधेयक को केवल लोकसभा में पारित काराना जरूरी है और राज्यसभा इसे नहीं रोक सकती।
हालांकि अप्रैल के बाद राजग काफी बेहतर स्थिति में होगा।
भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगियों के 24 सांसद सेवानिृत्त हो रहे हैं, जिसका अर्थ है कि सरकार के पास एआईएडीएमके सदस्यों समेत 76 सांसद होंगे। लेकिन राजग के कम से कम 30 सांसदों के फिर से निर्वाचित होने की संभावना है, इसलिए उनका कुल आंकड़ा बढ़कर 106 हो जाएगा।
इसमें सरकार द्वारा राज्यसभा के लिए नामांकित किए जाने वाले तीन सदस्यों को भी मिला दें तो राजग सदस्यों का कुल आंकड़ा करीब 109 हो जाएगा।
इसके अलावा तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (आईएनएलडी) और वायएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियां भी हैं, जो पूरी तरह भाजपा के खिलाफ नहीं हैं और वे जब तक कोई ठोस कारण न हो सरकार का विरोध नहीं करेंगी।
अब बात करें, कांग्रेस और शेष विपक्ष की तो उनके 30 सांसद सेवानिवृत्त होंगे, जिसके बाद उनके करीब 93 सदस्य बचेंगे। विपक्ष लगभग 22 सीटें जीत सकता है, जिसका अर्थ यह है कि अप्रैल के बाद राज्यसभा में उसके करीब 115 सदस्य होंगे।
आम आदमी पार्टी (आप) के तीन नवनिर्वाचित सदस्य भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही समान दूरी बनाए रख सकते हैं, हालांकि आप के तृणमूल कांग्रेस जैसी कुछ प्रमुख विपक्षी पार्टियों के साथ अच्छे संबंध हैं।
हाल ही में एक रोचक घटनाक्रम में आप ने सभापति एम. वेंकैया नायडू द्वारा सदन को दिन में लंबे समय तक स्थगित किए जाने को लेकर सदन के दिनभर के बहिष्कार और बहिर्गमन में विपक्ष का बढ़ चढ़कर साथ दिया था।
जिस आप को इससे पहले विपक्ष की किसी भी बैठक में स्वागत नहीं किया जाता था, उसे उस दिन विपक्ष के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बोलने के लिए आमंत्रित किया गया। लेकिन यह कोई नहीं कह सकता कि यह साथ कब तक चलेगा। -मोहम्मद असीम खान
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