नई दिल्ली: 112 विभिन्न क्षेत्रों और पेशों से ताल्लुक रखने वाली 'पहली भारतीय महिलाएं' जिनमें कई गुमनामी में खो गई अभिनेत्रियां, पहली महिला कुली से लेकर ऑटो-रिक्शा चालक, पहली महिला ट्रेन, बस चालक और यहां तक कि पहली बारटेन्डर और सेना, नौसेना में जाने वाली पहली महिला जिन्होंने अपने पेशे से संबंधित क्षेत्रों में हदों के पार जाकर शानदार काम किया, उन्हें शनिवार को सम्मानित किया गया।
112 महिलाओं की सूची न सिर्फ परंपरागत पेशों से है, बल्कि बेहद अलग पेशों से भी है। उन लोगों ने देश की पहली पेशेवर कॉफी टेस्ट करने वाली महिला, पहली महिला जासूस, पहली महिला बॉडीबिल्डर प्रतियोगी, पहली साइबर अपराध जांचकर्ता और पहली महिला बैगपाइप कलाकार को भी शामिल किया।
सम्मानित महिलाओं के बीच पहली ऑटो-रिक्शा चालक शीला दावरे भी हैं। जिन्होंने 1988 में रूढ़िवादी मान्यताओं को झुठलाते हुए ऑटो-रिक्शा चलाना शुरू किया।
दावरे ने यहां एक मीडिया वार्ता के दौरान आईएएनएस को बताया, "मेरे माता-पिता शिक्षित थे, लेकिन जब मैंने ऑटो-रिक्शा चालक बनने का फैसला किया तो किसी ने मेरा साथ नहीं दिया। अब मुझे अच्छा लगता है कि मेरे लिए एक सम्मान है, हालांकि बाद में मेरा परिवार मुझसे खुश हो गया, राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलना अच्छा लगता है और यह अन्य महिलाओं को आगे आकर गाड़ी चलाने को पेशे के रूप में अपनाने में भी मदद करेगा।"
मास्टर शेफ इंडिया जीतने वाली पहली भारतीय महिला पंकज भदौरिया ने आईएएनएस को बताया, "यह एक खूबसूरत पहल है। यह न सिर्फ उन महिलाओं को पहचान दे रहा है, जो पहले से ही अच्छा कर रही हैं, बल्कि युवा लड़कियों को भी आगे आने और जीवन में अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करेगा।"
नकद रहित भुगतान कंपनी की नींव डालने वाली पहली महिला उपासना टाकू ने कई अन्य लोगों से पहले नकद रहित अर्थव्यवस्था का सपना देखा और 2009 में अपने इस सपने को पूरा करने के लिए इस पर काम करना शुरू कर दिया। वह अग्रणी ई-भुगतान प्लेटफॉर्म मोबीक्विक की सह-संस्थापक हैं।
टाकू ने आईएएनएस को बताया, "मुझे हमेशा से इस बात का अहसास था कि हमें भुगतान के लिए लाइन में खड़े होकर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए और इस सब की शुरूआत वहां से हुई। मैं खुश हूं कि मुझे इस तरह की पहचान मिल रही है।"
इस सूची में कल्पना चावला (अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला), बछेंद्री पाल (माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला), ऐश्वर्या राय (कान्स में जूरी सदस्य बनने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री) और निकोल फारिया (मिस अर्थ का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला) भी शामिल की गई हैं।
खेल के क्षेत्र से जुड़ी कई महिलाओं को भी सम्मानित किया गया। रियो ओलंपिक में क्वालीफाई करने वाली पहली महिला जिम्नास्ट दीपा करमाकर, भारती की पहली महिला क्रिकेटर, जिन्हें मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) की आजीवन सदस्यता मिली, पैरालंपिक खेलों में पहला पदक जीतने वाली भारतीय महिला दीपा मलिक और ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पी.वी. सिंधु भी शामिल हैं।
साइना नेहवाल (ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली बैडमिंटन खिलाड़ी), एम.सी. मैरी कॉम ( एशियाई खेलों में मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला), साक्षी मलिक (ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान) और मिताली राज (पहली महिला भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने 6,000 रन बनाए) इस सूची में सानिया मिर्जा (महिला टेनिस संघ (डब्ल्यूटीए) डबल रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज होने वाली पहली भारतीय महिला) और पी.टी. उषा (ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली प्रथम भारतीय महिला) भी शामिल हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में इन असाधारण महिलाओं को सम्मानित किया, जो संबंधित क्षेत्रों में मील का पत्थर कायम करने वाली पहली महिला भारतीय महिला रहीं।
सूची को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा एक साल की अवधि में काफी रिसर्च के बाद तैयार किया गया।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने आईएएनएस को बताया, "हमें उन लोगों के सम्मान का जश्न मनाना चाहिए, जिन्होंने जीवन में असाधारण काम किए हैं। इन महिलाओं को साथ लाना उनके और उनके काम को सम्मान देने का एक तरीका है।"
मेनका ने कहा कि 'प्रथम महिला' पहल के जरिए मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिलाओं की पहचान की है। हमने ऐसी महिलाओं की तलाश की जो अपने पेशे में प्रथम हैं और इन नामों को विभिन्न स्रोतों से एकत्र किया।
सूची में सेना में जाने वाली पहली महिला, पहली पायलट, पहली मर्चेट नेवी कैप्टन, पहली महिला न्यायाधीश, पहली महलिा भारोत्तोलक, पहली वन डे कप्तान और कई महिलाएं हैं।
सम्मान समारोह में हालांकि हर महिला ने खुद को खास और असाधारण महसूस किया, उन लोगों ने यह भी कहा कि कई ऐसी सफल महिलाओं से मुलाकात के बाद , जिनेक बारे में उन लोगों ने कभी भी नहीं सुना था, वे बहुत अच्छा महसूस कर रही है।
लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) जोसीसिला फरीदा रेहाना, भारतीय सेना की पहली महिला पैराट्रपर (एएमसी) ने आईएएनएस को बताया कि यह उनके लिए किसी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से कम नहीं है। 1940 में मैसूर में जन्मी रेहाना 1964 में भारतीय सेना में शामिल हुई थीं।
द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजी जा चुकीं पहली भारतीय महिला क्रिकेट कोच सुनीता शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि उनके लिए यह देर आए, दुरुस्त आए जैसा है।
उन्होंने कहा, "मैं खुश हूं कि हालांकि, थोड़ी देर से ही सही, हमें हमारे योगदान के लिए सम्मान मिल रहा है।"
सुनीता ने कहा, "सरकार को न सिर्फ पुरस्कार, बल्कि महिला खिलाड़ियों को नौकरी के अवसर प्रदान करने के लिए भी कुछ करना चाहिए। उनके पास सिर्फ रेलवे में नौकरी करने का विकल्प होता है। अन्य विभागों को भी खिलाड़ियों को नौकरी का विकल्प देने पर ध्यान देना चाहिए।"
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