भारतीयता के प्रति भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण थोप रही है मोदी सरकार : सोनिया गांधी

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नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर ‘असहिष्णुता में वृद्धि’ को लेकर हमला बोला और कहा कि लोगों पर भारतीयता के प्रति भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण थोपा जा रहा है और देश की विरासत आज उन हाथों में है, जो ‘इतिहास का पुनर्लेखन, झूठ फैलाने और अवैज्ञानिक विचारों’ को हम पर थोपने पर उतारू हैं। यहां एक समारोह में एक भाषण में सोनिया गांधी ने कहा, “हमें अंधेरे की उन ताकतों (बुराई की ताकतों) के खिलाफ अविचलित, निडर, और अटल होना चाहिए, जो हमारी जमीन को हड़प लेना चाहते हैं।” समारोह में राष्ट्रीय एकता के लिए 30वें इंदिरा गांधी पुरस्कार से कर्नाटक के संगीतकार टी. एम. कृष्णा को सम्मानित किया गया। 

उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार उन मूल्यों को मान्यता प्रदान करता है, जिन मूल्यों के लिए एक समय पर वह खड़ी हुई थीं, “जब हमारा देश संकीर्ण राष्ट्रवाद के नाम पर तेजी से बंट रहा था।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जिन उदारवादी भारतीय मूल्यों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने जीवन में जीया, उसे आज खुलेआम नकारा जा रहा है। 

यह भाषण उनकी अनुपस्थिति में उनके बेटे और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पढ़ा। यह पुरस्कार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी ने कृष्णा को प्रदान किया। 

सोनिया गांधी ने कहा कि जिन भारतीय मूल्यों के लिए इंदिरा गांधी लड़ती रहीं, उन पर ‘बढ़ती असहिष्णुता, जिसके आज हम साक्षी हैं’ से सवाल उठाए जा रहे हैं। 

उन्होंने कहा, “भारतीयता का एक दर्शन जो एकतरफा, भेदभावपूर्ण, यहां तक कि विकृत है, उसे हम पर थोपा जा रहा है। देश की विरासत आज उन हाथों में है, जो इतिहास को दोबारा लिखने, झूठ और अवैज्ञानिक विचारों को फैलाने तथा स्वतंत्र सोच का गला घोंटने पर उतारू हैं।”

सोनिया गांधी ने कहा कि यह साल इंदिरा गांधी के जन्म का शताब्दी वर्ष है और उनके जीवन का जश्न मनाने और हमारे राष्ट्रपिता द्वारा निर्मित नींव को मजबूत करने में उनकी भूमिका को याद करने का एक अवसर भी है। 

गांधी ने कहा, “इंदिरा गांधी देश की एकता और अखंडता के लिए लड़ती रहीं, एक ऐसे भारत के लिए खड़ी हुईं, जिसमें जाति, पंथ, मत एवं क्षेत्र का भेदभाव न हो।”

सोनिया गांधी ने कहा कि आपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी को कुछ अंगरक्षक बदलने की सलाह दी गई थी। किंतु उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि वह किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकतीं।

उन्होंने कहा, “उन्होंने अपने सिद्धांतों के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया, लेकिन भारत और उसके लोगों में अपने विश्वास के साथ कभी भी समझौता नहीं किया।”

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