वीडियो: दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस का मानना है कि जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध मौत के बारे जांच ज़रूरी है क्योंकि ऐसे मामले में लगे आरोप न्यायपालिका की साख कलंकित कर सकते हैं.
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजीत प्रकाश शाह न्यायपालिका से जुड़े पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने 48 वर्षीय जज बृजगोपाल लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बारे में बात की.
ज्ञात हो कि बृजगोपाल लोया की मृत्यु 1 दिसम्बर 2014 में हुई थी, जिस समय वे सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात पुलिस के आला अधिकारियों के ख़िलाफ़ सुनवाई कर रहे थे.
बीते दिनों द कारवां पत्रिका की एक रिपोर्ट के जरिये जज लोया के परिवार ने उनकी मौत की संदेहास्पद परिस्थितियों के बारे में बताया.
साथ उनके परिवार का कहना था कि जज लोया को इस मामले में ‘अनुकूल’ फैसला देने के एवज में उस समय बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह द्वारा 100 करोड़ रुपये की रिश्वत का प्रस्ताव भी दिया गया था.
द वायर के साथ इंटरव्यू में जस्टिस एपी शाह ने इन दोनों ही मुद्दों पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा, ‘यह ज़रूरी है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस स्वयं इस मामले का संज्ञान लें और यह फैसला करें कि जांच होनी चाहिए या नहीं. क्योंकि अगर इन आरोपों की जांच नहीं कि गई तो ये न्यायपालिका की साख पर कलंक लगने जैसा होगा.’
जस्टिस शाह ने कहा कि न्यायपालिका में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए ऐसा होना ज़रूरी है. लोया को एक ईमानदार और सच्चा जज बताते हुए जस्टिस शाह ने कहा, ‘परिवार द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच न करना न्यायपालिका, खासकर निचले कैडर के लिए बेहद गलत संकेत होगा.’
मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि हाल ही में न्यायपालिका पर कई गंभीर आरोप लगे हैं. जनता का न्याय व्यवस्था में भरोसा बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि ऐसे मामलों की जांच की जाये.
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसे मामलों में जहां जांच करने के लिए प्रथम दृष्टया सामग्री (prima facie material) उपलब्ध हो, वहां जांच का आदेश देना बेहद ज़रूरी है… न्यायपालिका इस देश की सर्वोच्च संस्था है, लोग इस पर सबसे ज़्यादा भरोसा करते हैं. इस संस्था या इससे जुड़े किसी भी व्यक्ति के किसी गलत काम में लिप्त होने पर बात होनी चाहिए. -साभार: दि वायर