जीएसटी काउंसिल की ताजा बैठक में एक बार फिर दैनिक इस्तेमाल की 200 चीजों पर टैक्स की दरें कम करके मोदी सरकार ने यह साबित कर दिया है ‘एक देश, एक टैक्स’ की जिद पूरी करने के लिए उसने किस हड़बड़ी से काम लिया। जब मोदी सरकार के आलोचकों ने इस इनडायरेक्ट टैक्स को देश में लागू करने में हड़बड़ी और अधूरी तैयारी का आरोप लगाया गया था तो उन्हें राष्ट्रविरोधी कहा गया था। लेकिन जीएसटी ने जो अफरातफरी और अव्यवस्था फैलाई उससे साबित हो गया कि यह कदम सरकार ने सिर्फ अपनी वाहवाही लूटने के लिए उठाया था। देश हित से इसका कोई लेना देना नहीं था। जबकि सरकार संसद में आधी रात को जीएसटी का घंटी बजा कर खुद को महान सुधारक साबित करने में जुटी हुई थी।
नोटबंदी में जनता बुरी तरह लुट ही चुकी थी और अब जीएसटी ने रही-सही कसर भी निकाल दी। बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री और अब सरकार के मुखर आलोचक यशवंत सिन्हा ने भी कहा है कि जीएसटी का ढांचा इतना दोषपूर्ण है कि उसमें रोज परिवर्तन करना पड़ रहा है। जेटली ने जीएसटी में अपना दिमाग नहीं लगाया। सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वित्त मंत्री अरुण जेटली को हटाने की मांग की है।
मोदी सरकार जीएसटी लागू करने के समय इस कदर अहंकार में थी कि टैक्स के चार स्लैब और 28 फीसदी तक ऊंची दरों में कमी की मांग को उसने पूरी तरह अनसुनी कर दी। यहां तक कि पीयूष गोयल जैसे सरकार के मंत्रियों ने 28 फीसदी की ऊंची दरों को कम करने की मांग को गरीब विरोधी करार दिया। लेकिन अगले कुछ दिनों में सरकार का यह अहंकार टूटता हुआ दिखाया दिया और उसे कई बार जीएसटी दरों में परिवर्तन करना पड़ा। बार-बार का बदलाव यह दिखाता है कि मोदी सरकार ने बगैर तैयारी के जीएसटी लागू किया था। यह अर्थव्यवस्था के साथ बड़ा खिलवाड़ था और देश इसका खमियाजा भुगत रहा है। जीएसटी लागू करने पर छोटे और मझोले कारोबारियों की कमर टूट गई। औद्योगिक उत्पादन गिर गया और अर्थव्यवस्था में चौतरफा गिरावट आई। इसके बावजूद मोदी सरकार इसे क्रांतिकारी कदम बता रही है।
पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के इस आरोप में दम है कि मोदी सरकार में गुजरात में अपनी खराब हो रही छवि को सुधारने के लिए 200 चीजों पर टैक्स कम कर रही है क्योंकि जीएसटी और नोटबंदी ने राज्य में टेक्सटाइल और डायमंड समेत कई उदयोगों की रीढ़ तोड़ दी है।
होना तो यह चाहिए कि मोदी सरकार को अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंचाने वाले इस कदम पर देश के सामने स्पष्टीकरण देना चाहिए। लेकिन जब कोई अहंकारी सरकार गलती करती है तो शायद ही वह जनता से कोई संवाद करती है। इससे भी बुरा यह होता है कि वह अपने अहंकार को छिपाने के लिए एक के बाद एक गलतियां करती जाती है। (साभार : सबरंंग इंडिया)
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