रांची: मेधा पाटकर, अरूणा रॉय, प्रफुल्लन सामंतरा, डॉ सुनीलम, डॉ बिनायक सेन, कविता श्रीवास्तव, संदीप पांडेय साहित देश भर के दो दर्जन बुद्धिजीवियों-सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खूंटी पत्थडरगड़ी मामले में झारखंड के 20 सामाजिक कार्यकर्त्तारओं के खिलाफ प्रशासन द्वारा राजद्रोह का मामला दर्ज करने की घोर निंदा की है। जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम) द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में झारखंड प्रशासन की इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार देते हुए बुद्धिजीवियों ने कहा कि ऐसे मसलों पर हम हमेशा साथ खड़े रहे हैं और रहेंगे। प्रस्तुत है विज्ञप्ति की प्रतिलिपि:
खूंटी थानेदार द्वारा फादर स्टेन स्वामी, आलोका कुजूर सहित 20 जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों एवं जनांदोलनकारियों पर खूंटी गैंगरेप, सांसद कड़िया मुंडा के घर पर से जवानों के अगवा करने जैसा झूठा और फर्जी आरोप लगाकर देशद्रोही का मुकदमा दायर करने की कार्यवाही का जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय कड़ी निंदा और विरोध करता है | इन 20 लोगों पर सोशल मीडिया, फेसबुक जैसे माध्यमों के ज़रिये खूंटी के ग्रामवासियों में राष्ट्रविरोध की भावना पैदा करने और अशांति व समाज में साम्प्रदायिकता और जातीय दंगे फ़ैलाने की कोशिश करने सम्बंधित ई.पी.सी की धारा 121, 121(A) और 124(A) के चलते राष्ट्रद्रोह और आई.टी एक्ट कि धारा 66(A) के अंतर्गत संगीन आरोप लगाये गए हैं |
सरकार का यह कदम अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकार पर हमला और सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बिहार सरकार बनाम केदारनाथ सिंह केस (1962) में तय की गई देशद्रोह की परिभाषा एवं इस संबंध में उसके द्वारा अन्य मामले में दिए गए निर्देशों की अवमानना है । सुप्रीम कोर्ट ने आई.टी एक्ट की धारा 66(A) को संविधान के अनुच्छेद 19(1) में प्रदत्त अभिव्यक्ति की आज़ादी के खिलाफ मान कर 2015 में ही असंवेधानिक घोषित करते हुए रद्द कर दिया था | अब इसका हवाला देकर झारखण्ड सरकार आदिवासियों की ज़मीन की बड़े कॉर्पोरेट्स द्वारा गैरकानूनी लुट से सुरक्षा करने की लडाई में अलग-अलग माध्यमों द्वारा, अपनी आवाज़ उठा कर सरकार की पोल खोलने वाले आन्दोलनकारी, बुद्धिजीवी और समाज सेवियों की आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है |
एक तरफ जब राज्य सरकार खुद संविधान का उल्लंघन कर, पांचवी अनुसूची की आत्मा ग्रामसभा के संवैधानिक प्रावधान को खत्म करने पर आमादा है, चर्च और गैर चर्च के बीच भेदभाव पैदा कर साम्प्रदायिक विभाजन पैदा कर रही है, भीड़ हत्या को प्रोत्साहन और हत्यारों को संरक्षण देकर सामाजिक तानाबाना व माहौल को बिगाड़कर विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न कर रही है दुसरी तरफ जनान्दोलनकारियों पर देशद्रोह का झूठा आरोप लगाकर लोकतंत्र की हत्या कर रही है। एक तरफ पुलिस अपने बयान में कहती है की खूंटी के ग्राम निवासी भोले-भाले और अशिक्षित हैं और दूसरी तरफ उनके द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने जैसा दावा करती है | पुलिस के बयान से साफ़ होता है की किस तरह राष्ट्रद्रोह की धारा को हथियार बना आदिवासियों के हक में बोलने वाली आवाजों को असंवेधानिक बता, सरकार खुद संविधान के विपरीत व सरकार और बड़ी कंपनियों के ज़मीन की लूट के मिलीभगत के बीच आने वाली हर आवाज़ को दबाने की पूरी कोशिश की जा रही है |
जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय झारखण्ड सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा करता है और साथ ही मांग करता है की निराधार आरोपी बनाए गए सभी बीसों व्यक्तियों पर से तत्काल मुकदमा वापस ले | हम झारखण्ड सरकार को यह बताना चाहते हैं कि संविधान के पक्ष में बोलने वालों को दबाने की बजाय उन्हें खुद पहले संविधान के दायरे में रह कर काम करने की जरूरत है ! ऐसे फासीवादी कृत्यों के खिलाफ जन आन्दोलन हमेशा खड़े रहते आये हैं और रहेंगे ! राष्ट्रद्रोह की धारा को दमन और भ्रष्टाचार का हथियार हम नहीं बनने देंगे !
Endorsed By:
Medha Patkar, Narmada Bachao Andolan (NBA) and National Alliance of People’s Movements (NAPM)
Aruna Roy, Nikhil Dey and Shankar Singh, Mazdoor Kisan Shakti Sangathan (MKSS), National Campaign for People’s Right to Information, NAPM
Prafulla Samantara, Lok Shakti Abhiyan; Lingraj Azad, Samajwadi Jan Parishad & Niyamgiri Suraksha Samiti, NAPM Odisha
Dr.Sunilam, Adv. Aradhna Bhargava, KisanSangharshSamiti, Rajkumar Sinha, Bargi Baandh Visthapit evam Prabhavit Sangh, NAPM, Madhya Pradesh
P. Chennaiah, Andhra Pradesh Vyavasaya Vruthidarula Union-APVVU, Ramakrishnam Raju, United Forum for RTI and NAPM, Meera Sanghamitra, Rajesh Serupally, NAPM Telangana - Andhra Pradesh
Dr Binayak Sen, Peoples’ Union for Civil Liberties (PUCL); GautamBandopadhyay, Nadi Ghati Morcha; KaladasDahariya, RELAA, NAPM Chhattisgarh
Kavita Srivastava, People’s Union for Civil Liberties (PUCL); Kailash Meena, NAPM Rajasthan
Sandeep Pandey, Socialist Party;Richa Singh, Sangatin; ArundhatiDhuru, Manesh Gupta, NAPM, Uttar Pradesh
Gabriele Dietrich, Penn Urimay Iyakkam, Madurai; Geetha Ramakrishnan, Unorganised Sector Workers Federation; Arul Doss, NAPM Tamilnadu
Sister Celia, Domestic Workers Union; Maj Gen (Retd) S.G.Vombatkere, NAPM, Karnataka
Vilayodi Venugopal, CR Neelakandan, Prof. Kusumam Joseph, NAPM, Kerala
AnandMazgaonkar, Swati Desai, Krishnakant, ParyavaranSurakshaSamiti, NAPM Gujarat
VimalBhai, Matu Jan sangathan; Jabar Singh, NAPM, Uttarakhand
Dayamani Barla, Aadivasi-MoolnivasiAstivtva Raksha Samiti; Basant Kumar Hetamsaria and Ashok Verma, NAPM Jharkhand
Samar Bagchi, AmitavaMitra, NAPM West Bengal
Suniti SR, SuhasKolhekar, Prasad Bagwe, &Bilal Khan, GharBachaoGharBanaoAndolan, Mumbai NAPMMaharashtra
Anjali Bharadwaj, National Campaign for People’s Right to Information (NCPRI), NAPM
Faisal Khan, KhudaiKhidmatgar; J S Walia, NAPM Haryana
Guruwant Singh, NAPM Punjab
Kamayani Swami, AshishRanjan, Jan Jagran Shakti Sangathan; MahendraYadav, KosiNavnirmanManch; Sister Dorothy, Ujjawal Chaubey, NAPM Bihar
Bhupender Singh Rawat, Jan SangharshVahini; Sunita Rani, Domestic Workers Union; Rajendra Ravi, Nanhu Prasad, Madhuresh Kumar, Amit Kumar, Himshi Singh, Uma, NAPM, Delhi
National Alliance of People’s Movements