मैं बहुत देर तक उस बंदे को देखता रहा। उसकी हरकतें अलग थी। मैंने उसे सुनने और कुछ बातें करने की कोशिश की। वह अपनी ही धुन में मगन था। मैंने उसे झकझोरकर याद दिलाया कि भाई कहाँ रमे पड़े हो। और भी दुनिया है , जरा खयालों से बाहर आओ।
वह सुर में बोला- मोदी मोदी मोदी मोदी..... मो...ओ ...ओ... दी....ई.....ई....
मैंने कहा- भाई, जो ये आप थोड़े सुर के साथ कुछ कहे जा रहे हैं ये क्या है ?
उसने मेरी तरफ शंकित निगाहों से देखा जैसे मैं कोई एलियन हूँ और यहां गलती से छूट गया हूँ। स्वर को धीरे-धीरे रोकते हुए और मेरे मासूमियत भरे चेहरे पर तरस खाते हुए वह कहने लगा- अहा, नए लगते हो !! वरना ऐसा सवाल तो बच्चा या मूर्ख ही करता है।
मैंने उत्सुकतावश कहा- महाशय, मैं आपका आशय समझ न सका। जरा खुलकर बताएंगे ।
उसने मेरी चिंता को न बढ़ाते हुए फौरन कहा- यह मोदी राग है। यह राग बच्चा- बच्चा जानता है। तुम कैसे गच्चा खा गए ?
मैंने पूछा- मोदी राग ..? पहली बार इसके बारे में सुन रहा हूँ। वैसे संगीत की जानकारी थोड़ी बहुत रखता हूँ पर इस राग के बारे में कभी नहीं सुना। कोई बढ़िया चीज लग रही है ये तो। कुछ और बताओ न इसके बारे में। जैसे इसकी उत्पत्ति कहाँ हुई !!
उसने कहा- ओह, तो संगीत प्रेमी हो। अच्छी बात है। चलो पूछ रहे हो तो बताए देता हूँ। वरना इस राग के गायन के अलावा कुछ और काम करता नहीं मैं।
थोड़ी देर मेरी तरफ देखने और हल्की सी गहरी सांस लेने के बाद वह बोला- इसकी उत्पत्ति संघ घराने से हुई है। यह गुजरात से होता हुआ पूरे देश मे गाया जाने लगा है। इस राग में म वादी और द संवादी स्वर माना जाता है। इस समय सबसे प्रसिद्ध रागों में गिना जाता है। इसकी प्रसिद्धि दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। देश जे कुछ हिस्सों को छोड़कर यह राग पूरे देश में कब्जा जमाए है।
उसकी बातें सुनकर मेरी जिज्ञासा बढ़ी। मैंने फिर पूछा- सर बहुत बढ़िया जानकारी है ये तो। आप मुझे इसके गायन समय के बारे में बताएंगे ?
वो( खुश होते हुए)- अहा, क्यों नहीं !! जरूर बताऊंगा...यह एकमात्र ऐसा राग है जो सोते, जागते, हंसते, गाते, रोते ,बिलखते, सूसू करते , पॉटी करते किसी भी वक्त गाया जा सकता है और लोग गाते भी हैं। इसमें समय की कोई बंदिश नहीं है। आप इस राग को किसी भी जगह गा सकते हैं , बस में, ट्रेन में , खटिया पर, लेटे हुए। और हां यह राग उस समय अपना सबसे बड़ा प्रभाव छोड़ता है जब कोई आमजन की समस्याओं को लेकर सवाल करे। यह राग गा कर उसके मन को शांत किया जा सकता है। जैसे कोई रोजगार मांगे, बेहतर अस्पताल मांगे, शिक्षा की मांग करे तो यह राग सुनाकर उसे शांत कराया जा सकता है।
इस राग में डर है। इस राग का डर दिखाकर बहुतों का मुंह बंद कराया जा सकता है। इस राग में वीरता है। इस राग से देशभक्ति पैदा की जाती है। पाकिस्तान को किचेन में बैठे बैठे धमकाया जा सकता है। इस राग में करुणा है। इसके गाने से आंसू तक निकल आते हैं। जब कहीं गंभीर समस्या हो इस राग को गाकर लोगों को इमोशनल किया जा सकता है।
मैं उनकी बात से अति प्रभावित हुआ। मैंने फिर कहा- बहुत बढ़िया सर। और कुछ ख़ासियत इस राग की !!
वो बोला- बेटा बिल्कुल नए लग रहे हो। सुनो,,, इस राग के अलाप से गांव की परधानी का चुनाव तक जीत लिया जाता है। इस राग से बिजली की समस्या दूर होती है। भुखमरी की कगार पर खड़े देश को यह राग सुनाने से भूखे नागरिकों की आत्मा तृप्त होती है। इस राग को गाते हुए भूखा मस्त हो भूख भूल जाता है। यह राग किसान आत्महत्या रोकता है, महंगाई खत्म करता है। इससे ज्यादा और क्या चाहिए।
इस राग को सुनने का देश इतना आदी हो चुका है कि उसे गिरा हुआ निर्माणाधीन पुल नहीं दिखाई देता। उसके नीचे दबे लोगों की चीखें नहीं सुनाई देती।
मैं उनकी बात से बहुत प्रभावित हुआ। मैंने कहा- वाह गुरु, मान गए आपको। कुछ और बताइए आप मुझे बहुत पहुंचे हुए व्यक्ति लग रहे हैं।
उन्होंने कहा- अब आप मुझे छोड़िए। मुझे भूख लगी है। कुछ खाने का जुगाड़ नहीं किया तो भूखे रहने पड़ेगा और पानी का तो पूछो ही मत। यहां के सब नल और कुंवें सूख गए हैं वह भी दूर से ही लाना पड़ेगा। इतना कहकर वे उठकर जाने लगे।
मैंने पीछे से आवाज दी- अरे गुरु वो 'राग मोदी' सुना दीजिये न ,, मुझे भी भूख लगी है और प्यास से गला सूख गया है। (साभार: सबरंग)
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