इस्लामाबाद: पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जीवन भर चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा दिया, यानी अब शरीफ पूरे जीवन कोई सार्वजनिक पद नहीं संभाल पाएंगे। यह ऐतिहासिक फैसला देश की राजनीति की दिशा बदलने वाला है। 'डॉन' ऑनलाइन की रपट के अनुसार, न्यायाधीश उमर अता बांदियाल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने एकमत से यह फैसला सुनाया। शरीफ के अलावा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता जहांगीर तरीन सहित अन्य सांसदों को भी इस अनुच्छेद के तहत अयोग्य घोषित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 62 (1) (एफ) के तहत अयोग्य घोषित किए गए ये नेता कभी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
फैसले में कहा गया है कि अनुच्छेद 62 (1) (एफ) के तहत किसी भी सांसद या किसी लोक सेवक की अयोग्यता स्थाई होगी। ऐसा व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है या संसद का सदस्य नहीं बन सकता है।
शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि अयोग्यता तबतक कायम रहेगी, जबतक सांसदों को अयोग्य ठहराने वाला अदालत का आदेश कायम रहेगा।
अनुच्छेद 62 (1) (एफ) पाकिस्तानी संसद के सदस्यों को 'ईमानदार और सच्चा' होने की शर्त निर्धारित करता है।
गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ को अपने चुनावी नामांकन-पत्र में एक विदेशी कंपनी और विदेश में संपत्ति होने की जानकारी न देने के लिए दिसंबर में पद के अयोग्य घोषित किया गया था।
इसी तरह तरीन को भी दिसंबर में अपने चुनावी नामांकन-पत्र में एक विदेशी कंपनी और विदेश में संपत्ति होने की जानकारी न देने के लिए पद से अयोग्य घोषित किया गया था।
इस फैसले के बाद तरीन ने ट्विटर पर कहा कि जीवनभर अयोग्य रहने का फैसला इस मामले पर लागू नहीं होता है।
उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा से 62 (1)(एफ) पर भरोसा किया है, लेकिन मेरे मामले में यह लागू नहीं होता है। कर भुगतान की आय का पूरी धनराशि, बच्चों की घोषित संपत्ति, कर सलाहकार की सलाह है, मेरी नहीं। यह एकमात्र मुद्दा था। मेरी याचिका अभी भी लंबित है।"
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता खुर्शीद शाह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने जो फैसला सुनाया है, वह 'संविधान के अनुरूप' है।
उन्होंने कहा कि पीपीपी ने बार-बार शरीफ से कहा था कि राजनेताओं के भाग्य का फैसला संसद को करने दिया जाए, "लेकिन उन्होंने नहीं सुनी और वह शीर्ष अदालत चले गए।"
पीएमएल-एन की सूचना राज्य मंत्री मरयम औरंगजेब ने इस फैसले को मजाक बताया है और कहा है कि यह पिछले प्रधानमंत्रियों के साथ भी हो चुका है।
पीएमएल-एन के कार्यकर्ताओं ने इस फैसले के बाद शीर्ष अदालत के परिसर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
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