झारखंड के खेतों में उगा रहे हैं जहर की फसलें, क्या इसे रोकेगी सरकार?

झारखंड कृषि प्रधान राज्य तो नहीं, लेकिन सब्जियां उगाने में इसका जोड़ शायद कम ही हो। राज्य के कई ग्रामीण इलाकों से रोजाना हजारों ट्रक लोड होकर सब्जियां दूसरे प्रदेशों, महानगरों में भेजी जाती हैं। हरी-ताजी सब्जियां.. जिसके लिए नगरवासी टूट पड़ते हैं।
मांग बढ़ी तो उत्पादन बढ़ाने के लिए केमिकल वाले फर्टिलाइजर्स और कीटनाशकों के रूप में जहरीली दवाओं का प्रयोग शुरू हुआ। और आज यह प्रयोग किसानों की मूल जरूरत बन गये हैं।
इस वीडियो मेंं हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस तरह उगायी गई फसलें और सब्जियां इंसानी सेहत के लिए कितना घातक हैं।
दो टूक कहें, ‘जहर हैं!’.. केवल खानेवालों के लिए नहीं बल्कि इसे उगाने वाले किसानों-मजदूरों के लिए भी। याद कीजिए, जादूगोड़ा माइन्स  से यूरोनियम के प्रभाव का.. कितना बावेला मचा था, देश से लेकर विदेशों तक। ..और यहां तो गांव-गांव के खेतों में ऐसे जहर उगाये  रहे हैं जिसका असर वर्तमान ही नहीं आनेवाली कई पीढि़यों तक पड़ेगा।
कीटनाशक के रूप में यहां प्रयोग की जा रही दवाइयों का विश्व के दर्जनों देशों में सालों पहले प्रतिबंधित कर रखा है। ऐसा नहीं कि भारत में कानूनविदों की नजर इसपर नहीं। हमारे देश में भी कीटनाशकों के इस्तेमाल से संबंधित कानून ‘कीटनाशक अधिनियम उन्नीस सौ अड़सठ’ मौजूद है। इसके अलावा, समाचार एजेंसी भाषा की हाल में छपी एक खबर के अनुसार कठोर दंड वाला एक नया कानून ‘कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2008’ संसद में लंबित है। इंतजार ही कर सकते हैं..
बहरहाल, आपको बतायें कि एक समय था जब कृषि उत्पारदन बढ़ाना एन केन प्रकारेण जरूरी था। शायद उतने शोध भी नहीं हुए थे। लेकिन, आज वैज्ञानिक इन उत्पाादक क्षमता बढ़ाने वाली कृषि औषधियों के जहरीले असर का खुलासा कर रहे हैं। झारखंड के बेड़ो प्रखंड में काम कर रही है विज्ञानी संस्थाी ‘एसपीडब्लूहडी’ यानी ‘सोसायटी फॉर प्रोमेाशन ऑफ वेस्टनलैन्ड्स  डेवेलॉपमेंट’। इसके पहले कार्यकारी निदेशक हुआ करते थे बहुप्रतिष्ठित डॉ एम एस स्वा’मीनाथन। इसी एसपीडब्लू डी के दो विशेषज्ञ सदस्यों  से फैक्टष फोल्ड  के स्टूाडियों में बात कर रहे हैं हमारे सहयोगी रणजीत। देखें और क्याष खुलासा करते हैं ये दो युवा विज्ञानी..

अंत में..
तो आपने सुना, शरत सिंह और डॉ जो हिल से झारखंड के बेड़ो प्रखंड की ग्राउन्ड रिपोर्ट!..
हमारे संवदेनशील दर्शक समझ गए होंगे कि वस्तुि स्थिति कितनी भयावह है!.. हम उन्हीं जहरीले अनाज और सब्जियों के सेवन को मजबूर हैं। आखिर हमारे पास विकल्प् भी क्या है?
बाजार में पहुंच रहे ऑर्गनिक उत्पामदों की कीमत तो आकाश छू रही हैं। जाहिर है, आम आदमी की पहुंच उन तक नहीं हो सकती।
बात बात में डॉ जो हिल ने सिक्किम की चर्चा की। जी हां, भारत का पहला ऑर्गनिक स्टेाट।
झारखंड के विकास को लेकर तमाम सरकारें दावे करती हैं। अरबों की योजनाएं बनती हैं, खर्च होती हैं। क्या  सिक्किम की तरह झारखंड भी ऑर्गनिक फार्मिंग वाला स्टेनट नहीं बन सकता? अगर ऐसा होता है तो न केवल झारखंडवासियों को शुद्ध अनाज व सब्जियां मिलेंगी बल्कि बाहरी प्रदेशों-नगरों के बाजारों की मांग पूरी की जा सकेगी। राजस्व की बढ़ोतरी तो होगी ही, प्रदेश के सुदूर इलाकों में किसानों की आय में चमत्काकरी इजाफा हो सकता है। लेकिन इसके लिए हमें  सत्‍ताधीशों को जगाना होगा। आाशा है, यह जानकारीपूर्ण वीडियो आपको अच्छा  लगा होगा। इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। अगले वीडियो की सूचना आपको समय पर मिले इसके लिए हमारे ‘फैक्ट फोल्ड यूट्यूब चैनल’ को जरूर सब्सक्राईब करें।

Visit also: http://factfold.com 
http://jharkhandforum.com

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More posts

Other Posts