नई दिल्ली: निर्वाचन निगरानी समूह एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स(एडीआर) ने पार्टियों को मिलने वाले चंदे की रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच 4 वर्षो में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 705 करोड़ रुपए का, जबकि कांग्रेस को 198 करोड़ रुपए का कॉर्पोरेट चंदा मिला है। रिपोर्ट के अनुसार, इन 4 वर्षों में राजनीतिक दलों को 956.77 करोड़ रुपए का डोनेशन मिला है। इस दौरान सीपीएम, एनसीपी और सीपीआई को बीजेपी-कांग्रेस के मुकाबले काफी कम चंदा मिला।
चुनाव आयोग को देनी होती है चंदे की जानकारी
एडीआर के अनुसार, 89 फीसदी चंदा कॉरपोरेट घरानों से आया है। नियम के अनुसार, सभी दलों को मिलने वाले राजनीतिक चंदे की नियमित तौर पर चुनाव आयोग को जानकारी देनी होती है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय दलों को सबसे ज्यादा डोनेशन चुनावी वर्ष 2014 में मिला, जो 5 वर्षों में मिले कुल चंदे का 60 फीसदी है। सत्या ट्रस्ट सबसे ज्यादा कॉरपोरेट डोनेशन देने वाली संस्था है, जिसने 5 वर्षों में राजनीतिक दलों को 260.87 करोड़ रुपये चंदे के रूप में दिया।
रियल एस्टेट सेक्टर ने दिया सबसे ज्यादा चंदा
सेक्टर की बात करें तो रियल एस्टेट सेक्टर ने सबसे ज्यादा चंदा दिया। 5 वर्षों में इस सेक्टर से 16.95 करोड़ रुपए चंदा मिला। इसमें अकेले भाजपा को 15.96 करोड़ मिले। वहीं, कांग्रेस को 95 लाख रुपए मिले। कुल 1933 डोनेशन में लगभग 384 करोड़ के चंदे में पैन नंबर का जिक्र नहीं है, वहीं 355 करोड़ के चंदे देने वाले का पता ही नहीं चला है। इन अज्ञात चंदों में 99 फीसदी भाजपा को मिला है।