आईआईटी कानपुर बना रहा है दुनिया का सबसे सस्‍ता कृत्रिम दिल, कीमत होगी..?

जी हां, आज बात दिल की.. इसलिये, दिल थाम कर बैठ जाइये! ताजा खबर यह है कि अब सबसे सस्‍ता दिल.. जी हां, आर्टिफिशियल दिल.. भारत में बनकर तैयार हो रहा है। कीमत होगी मात्र.. ठहर जाइये.. अभी बताते हैं कीमत.. पहले जान तो लीजिए कब से उपलब्‍ध होगा बाजार में!
इस कृत्रिम दिल का नाम रखा गया है, ‘हृदयंत्र’।
इस हृदययंत्र का एनिमल ट्रायल यानी जानवरों पर प्रयोग शुरू हो गया है। यह ट्रायल IIT कानपुर और हैदराबाद की एक कंपनी के लैब में शुरू हो चुका है। बताते चलें, कि इस कृत्रिम दिल को बनाने का पूरा श्रेय जाता है IIT कानपुर के शोधकर्त्‍ताओं को। वहां के प्रोजेक्‍ट प्रिंसिपल इन्‍वेस्टिगेटर अमिताभ बंधोपाध्‍याय का कहना है कि सबसे जरूरी काम है इस हृदयंत्र में उपयोग किये जा रहे मैटेरियल को टेस्‍ट करना। इस काम में 6 महीन लगेंगे। जरूरत हुई तो मशीन और मटेरियल दोनों में बदलाव किये जाएंगे। इसके बाद गाय के बछड़े पर ट्रायल शुरू होगा। जरूरत पड़ी तो ऐसे ट्रायल विदेश जाकर भी किये जाएंगे।
इस हृदयंत्र का डिजाईन पूरी तरह कंप्‍युटर सिमुलेशन पर आधारित है। यानी कंप्‍युटर से डिजाइन किया गया है यह दिल। शोधकर्त्‍ता बता रहे हैं कि इस मशीन को इस तरह डिजाईन किया गया है कि मनुष्‍य के शरीर में फिट किये जाने के बाद भी यह खून के संपर्क में नहीं आएगी। यह तकनीक जापानी ट्रेन ‘मेग्‍लेव’ से ली गई है।
पंप के अंदर टाइटेनियम पर ऐसे डिजाइनिंग की जाएगी कि वह धमनियों की अंदरूनी सतह की तरह बन जाए। इससे प्लेटलेट्स सक्रिय नहीं होंगे। प्लेटलेट सक्रिय होने पर शरीर में खून के थक्के जम सकते हैं। ऑक्सिजन का प्रवाह बढ़ाने वाले रेड ब्लड सेल्स भी नहीं मरेंगे।
थोड़ी तकनीकी भाषा में भी समझिये..
ऐसे यंत्र को तकनीकी भाषा में, LVAD यानी Left Ventricular Assist Device कहते हैं। यह उन लोगों के काम आता है, जिनका दिल ठीक से ब्लड को पंप नहीं करता।
श्रेष्‍ठ सर्जन कहते हैं, यह गेमचेंजर होगा..
इस LVAD डिवाइस का शेप पाइप की तरह होगा, जिसे हार्ट के एक हिस्से से दूसरे हिस्से के बीच जोड़ा जाएगा। हृदयंत्र खून को शरीर में पंप करते हुए धमनियों के सहारे पूरे शरीर में पहुंचाएगा। देश के नामी हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन डॉ. देवी शेट्टी ने हृदयंत्र को गेमचेंजर बताया है।
कैसे काम करेगा यह कृत्रिम दिल?
प्राकृतिक तौर पर, इंसानी दिल को शरीर के अंदर लोकल इलेक्ट्रिकल फील्ड से ऊर्जा मिलती है, लेकिन हृदयंत्र को बाहर से चार्ज कर ऊर्जा दी जाएगी। मशीन को ऐसे डिजाइन किया जा रहा है कि मोटर का, रोटर से संपर्क नहीं होगा। इससे कम आवाज और गर्मी पैदा होगी। ऐसा होगा तो ऊर्जा की मांग भी घटेगी। हृदयंत्र को शरीर में फिट करने के बाद दिल के पास से एक तार बाहर निकलेगा। बस दिनचर्या में, इसी तार पर ध्‍यान रखने की जरूरत होगी।
साधानियां कहां कहां रखनी होगी?..
दिनचर्या में हम सोना, उठना, बैठना, झुकना और दौड़-भाग जैसे काम करते हैं। हृदयंत्र लगे व्‍यक्ति को उसमें सावधानी रखनी होगी। यह मेकैनिकल डिवाइस हर दशा, यानी पोश्‍चर में, हर ऐंगल पर, सही काम करता रहे, इसके लिए फिलहाल 3 डिग्री झुकने की स्‍वतंत्रता होगी। अंदाजा लगाया जा रहा है कि शरीर में फिट करने के 10 से 15 दिन के अंदर यह पूरी तरह शरीर का हिस्‍सा हो जाएगा। हां, एक बात ध्‍यान रखना जरूरी होगा कि हृदयंत्र का वह तार जो आपके शरीर से बाहर निकला है, उसमें कोई खींच-तान नहीं हो।
हृदयंत्र के निर्माण पर लागत?..
हृदयंत्र के डिजाइन और डेवेलॉपमेंट पर अबतक करीब 35 करोड़ रूपये लग चुके हैं। आईआईटी कानपुर ने अपने संसाधनों, सीएसआर और भारत सरकार के फंड के अलावा डोनेशन से जुटाई है यह पूरी राशि। हां यह भी बताते चलें कि शुरुआती फंड इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति ने दिया है।
कब से बाजार में बिकेगा यह दिल?..
वैज्ञानिक मानते हैं कि सारे ट्रायल ठीक रहे तो 2025-26 में यह कृत्रिम दिल ट्रान्‍सप्‍लांट के लिए उपलब्‍ध होगा। हालांकि अभी बाजार में मंहगे दिल उपलब्‍ध हैं। उसकी कीमत 25 लाख से एक करोड़ तक है। लेकिन यह भारत का स्‍वनिर्मित दिल मात्र 10 लाख रूपये में मिल जाएगा। इसे दुनिया का सबसे सस्‍ता और अत्‍याधुनिक कृत्रिम दिल बताया जा रहा है।

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