नरेंद्र मोदी, अडानी और इंडोनेशिया दौरा

पतंगबाजी इंडोनेशिया में..

शेयर मंथन कारोबारी न्यूज़ वेबसाइट पर फरवरी 2018 में एक छोटी सी न्यूज़ छपती है ‘ऑस्ट्रेलिया में विवादित कोयला परियोजना के लिए जूझने के बावजूद खबरों के अनुसार अदाणी एंटरप्राइजेज इंडोनेशिया जैसे देशों में कोयले की ओर खदानें खरीदने पर विचार कर रही है ..वैसे सच्चाई तो यह है कि अडानी ग्रुप ने पहली बार विदेश में अपने कारोबार की शुरुआत ही इंडोनेशिया में एक कोयले की खदान को हासिल करके की थी और उसके साथ ही बहुत जल्द ही वो भारत में सबसे बड़ा कोयले का आयातक बन गया।

आपको याद होगा कि इकनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली के संपादक रहे परंजय दास गुहा की नौकरी अडानी के दबाव में ही चली गयी थी जब उन्होंने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अडानी पावर लिमिटेड को 500 करोड़ रपए की छूट सरकार ने कस्टम ड्यूटी को लेकर दी हैं और ईपीडब्ल्यू के मुताबिक पहले इसी अधिनियम में किसी तरह के रिफंड का कोई प्राविधान नहीं था लेकिन अडानी को तात्कालिक लाभ देने के लिए बदलाव किया गया. वीकली का दावा था कि अडानी ग्रुप ने जिस रकम पर रिफंड लिया वो रकम बतौर कस्टम ड्यूटी उसने कभी दी ही नहीं थी।

बहुत से मित्रों को यह लगता हैं कि अडानी तो कोयले का आयात करके देशसेवा का कार्य कर रहा है ओर उनके बारे में यह सब लिखकर आप देशद्रोह जैसा जघन्य अपराध कर रहे है कोई कोयला ऑस्ट्रेलिया से लाया या इंडोनेशिया से आपको क्या तकलीफ है ?

ऐसे मित्रों की जानकारी के लिए यह बता देना उचित होगा कि कोयला मुख्यतः बिजली घरो के उपयोग में लाया जाता है दुनिया मे भारत और चीन कोयले के मुख्य आयातक है। देश की कोयले से बिजली बनाने वाली कंपनियों में अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी पावर सबसे बड़ी कंपनी है, ..इन सब बातों का आप पर कैसे असर पड़ता है यह समझिये ..

साल 2010 में अडानी ओर टाटा जैसी बड़ी कम्पनियो ने बताया कि इंडोनेशिया ने कोयले के दाम में बदलाव किये है चूंकि दोनों कम्पनियां बिजली उत्पादन के लिए कोयला आयात करते है इसलिए दोनों कंपनियों ने बिजली दरें बढ़ाने की बात कही, जिसका विरोध राज्यों ने किया।

कंपनियों के फैसले के खिलाफ गुजरात, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र और राजस्थान की राज्य इकाइयों का ये केस 5 साल से भी लंबा चला. सीईआरसी के फैसले के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।

अंततः 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि अडानी पावर लिमिटेड और टाटा पावर अपने उपभोक्ताओं से यह कहकर ज़्यादा पैसे नहीं ले सकते कि कोयला आयात के दाम बढ़ गए हैं. जो कि एक सही निर्णय था।

पर इस कोयला आयात मामले की जांच में डीआरआई ने पाया कि इन कंपनियों ने बिजली के लिए विदेश से जो कोयला मंगाया उसकी लगातार ओवर-इनवॉइसिंग की गयी हैं, यानि जानबूझकर कीमत असल कीमत से बढ़ाकर दिखाई ताकि यह बता कर बिजली के दाम बेतहाशा ढंग से बढ़ाए जाए।

लेकिन ये खेल खेला किस तरह जाता है यह समझना भी जरूरी है यह खेल ‘कोल ब्लॉक लिंकेज’ का खेल है जैसे पहले विदेश में कोयले की खदानों पर अधिकार हासिल करो और फिर अपने देश की सरकार के साथ मिलकर उस देश मे एक बंदरगाह को तैयार करो अपने देश के सभी महत्वपूर्ण बंदरगाह पर भी कब्जा जमाकर कोयले की सुरक्षित आपूर्ति अपने पॉवर प्लांट तक सुनिश्चित करो और फिर मनचाही कीमतों पर बिजली देकर मोटा मुनाफा कूट लो, इंडोनेशिया में भी यही खेल खेला जा रहा है, इसके बदले में पूंजीपति क्या करते हैं बताने की जरूरत नही है।

कल आपको इंडोनेशिया के सबांग पोर्ट से संबंधित मोदी सरकार की सफलता की कहानी मीडिया जब राष्ट्रवाद की मीठी गोली के साथ परोसेगा तब इसकी कड़वी सच्चाई को भी समझ लीजियेगा।

दरअसल हुआ यह है कि अडानी का ऑस्ट्रेलिया वाला करमाइल कोल खदान का प्रोजेक्ट लम्बी रेल लाइन पर फाइनेंस न मिल पाने और वहाँ के पर्यावरण प्रेमियों के कारण खटाई में पड़ चुका है इसलिए तुरत फुरत में मोदीजी का यह इंडोनेशिया दौरा करवाया गया है ताकि कोयला आयात का पूरा खेल नए सिरे से जमाया जा सके।

किसी हिंदी मीडिया में यह बताने की हिम्मत नही है इसलिए अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के हवाले से ही बता रहा हूँ कि मोदीजी के साथ हाई लेवल डेलिगेशन में 30 से ज्यादा सीईओ गये हैं जो इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में पोर्ट ,पावर, हॉस्पिटल मैनेजमेंट एयरपोर्ट आदि क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं अडानी पावर टाटा पावर अडानी पोर्ट्स,GMR ग्रुप आदि कम्पनियो के प्रतिनिधि इस डेलिगेशन में शामिल हैं।

पुनश्च : कल खबर आयी हैं कि दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाली दादरी, झज्जर और बदरपुर पावर प्‍लांट में सिर्फ 20 घंटे की बिजली के लायक ही कोयला बचा है ओर उत्तर भारत मे कुछ ही महीनों में बिजली कम्पनियां अपने दाम बेतहाशा ढंग से बढ़ाने वाली हैं। –गिरीश मालवीय (यह रिपोर्ट पहले सबरंग में छप चुकी है।)

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