“खाद्य सब्सिडी के लिए DBT” के विरोध में झारखंड में प्रदर्शन

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रांची: नगड़ी के “खाद्य सुरक्षा के लिए DBT” प्रयोग के विरोध में सोमवार को सैकड़ों लोग – महिलाएं और पुरुष, जवान और बूढ़े – नगड़ी से मुख्यमंत्री आवास की ओर चलकर गए। उनको मुख्यमंत्री के आवास तक जाने नहीं दिया, पर वे राजभवन तक पहुंचे, जहां उन्होंने एक जन सभा की और राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन का नेतृत्वन जानेमाने अर्थशास्त्री  व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ ज्यां द्रेज कर रहे थे।

अक्टूबर 2017 में शुरू हुई DBT योजना के तहत लोगों की खाद्य सब्सिडी उनके खाते में हस्तांतरित की जाती है, जिससे लोग उस पैसे से राशन दुकान से 32 रुपये/किलो के दर से चावल खरीद सकें। पहले उन्हें राशन दुकान से 1 रुपये/किलो के दर से चावल मिलता था।

इस प्रयोग से नगड़ी के राशन कार्डधारियों को बहुत कठिनाइयां हो रही हैं। वे इस DBT पायलेट के विरुद्ध बार-बार प्रखंड व ज़िला मुख्यालय में प्रदर्शन करते रहे हैं। उनकी मांग है कि पहले की तरह ही जनवितरण प्रणाली दुकानों से 1 रुपये/किलो चावल मिलने की व्येवस्थाह लागू की जाए। इन सबके विपरीत राज्या सरकार यह दावा कर रही है कि डीबीटी का यह प्रयोग सफ़ल हुआ है और इसे पूरे झारखंड में लागू करना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो झारखंड में भूख और कुपोषण की स्थिति और गंभीर हो जाएगी।

जन सभा में DBT प्रयोग से पीड़ित कई लोगों ने अपनी परेशानियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि उन्हें DBT की राशि की निकासी करने के लिए एक सप्ताह तक का समय लग जाता है। उन्हें बार बार बैंक व प्रज्ञा केंद्र (बिज़नस कौरेसपौनडेंट) के चक्कर काटने पड़ते हैं, जो अक्सर 5 से 10 किमी दूर होते हैं। हर कदम पर लम्बी कतारें होती हैं। उन्हें कई बार खाली हाथ वापस आना पड़ता है, उदाहरण के लिए इंटरनेट या आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन में समस्याओं के कारण। कई लोगों को DBT सब्सिडी लेने के लिए अपनी मज़दूरी गवानी पड़ती है।

जन सभा को विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सिस्ट) के सुभाष मुंडा ने पदयात्रा के आयोजन के लिए विपक्षी दलों व जन संगठनों के गठबंधन – राशन बचाओ मंच – को सलाम किया। भाकपा माले के भुनेश्वर केवट ने कहा कि जो कार्डधारी DBT योजना के तहत अपना राशन नहीं खरीद पा रहे हैं, उन्हें सरकार द्वारा कठोर चेतावनिया मिल रही हैं। कांग्रेस के प्रेम प्रकाश शाहदेव ने कहा कि DBT योजना से लोगों को इतनी परेशानी हो रही है कि वे अपनी बात रखने के लिए नगरी से रांची तक घंटो चल कर आए। DBT प्रणाली में लोगों को अक्सर अपनी दैनिक मज़दूरी गवां कर या आने-जाने में खर्चा कर के बैंक के कई चक्कर लगाना पड़ता हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नन्द किशोर मेहता ने कहा कि अगर झारखंड सरकार इस योजना को रद्द नहीं करती है, तो राशन बचाओ मंच द्वारा और तीव्र प्रतिरोध किया जाएगा। झारखंड विकास मोर्चा के एनुल हक़ के अनुसार नगड़ी सरकार की जन-विरोधी नीतियों की प्रयोगशाला बन गयी है – चाहे खाद्य सब्सिडी के लिए DBT हो या कैशलेस प्रखंड की योजना हो। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों ने भी प्रदर्शन में भाग लिया।

जन संगठनों के सदस्यों ने भी नगड़ी के लोगों की संघर्ष का समर्थन किया। दयामनी बारला ने कहा कि झारखंड में राशन कार्डों को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता से ही जन वितरण प्रणाली पर हमला शुरू हो गया था। यूनाइटेड मिली फोरम के अफ़ज़ल अनीस ने कहा कि झारखंड में पिछले छः महीनों में कम-से-कम सात लोगों की भुखमरी से मौत हो गयी है। भोजन के अधिकार अभियान की तारामणि साहू ने मुख्यमंत्री द्वारा हाल में किया गया दावा कि खाद्य सब्सिडी में DBT योजना योजना से लोगों को सुविधा होगी को वास्तिवकता से परे बताया। AIPF के नदीम खान ने खाद्य आपूर्ति मंत्री द्वारा किया गया आरोप कि प्रदर्शन के आयोजकों द्वारा राजनीति की जा रही है की निंदा की और कहा कि अगर लोगों के अधिकारों के लिए लड़ना राजनीति है, तो हम राजनीति करेंगे। प्रदर्शन में कई अन्य जन संगठनों ने भी भाग लिया जैसे अखिल भारतीय किसान सभा, झारखंड जन संसकिरित मंच, एकता परिषद्, बगईचा, झारखंड नागरिक प्रयास मंच,  भारतीय महिलाओं का राष्ट्रिय संघ एवं झारखंड महिला जाग्रति हज़ारीबाग।

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