केदारनाथ पुनर्निर्माण पर मोदी के बयान के जवाब में कांग्रेस का पलटवार

केदारनाथ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2013 में भयंकर बाढ़ के कारण बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के प्रस्ताव को तात्कालिक कांग्रेस सरकार द्वारा ‘नकारे जाने’ पर शुक्रवार को यहां कांग्रेस पर हमला बोला। इस पर कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए उनसे कहा कि वह अपने ‘अहंकार’ और ‘इटली के चश्मे’ से निजात पाएं। मोदी ने यहां केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने और पांच परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद कहा कि वह दिवाली के एक दिन बाद धाम आकर और गुजराती नववर्ष की शुरुआत में लोगों को बधाई देकर खुश हैं।

मोदी ने जहां केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण को लेकर प्रतिबद्धता जताई, वहीं कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और आर.पी.एन सिंह ने उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कांग्रेसनीत संप्रग सरकार ने वर्ष 2013 के विनाशकारी बाढ़ के बाद केदारनाथ के पुनर्निर्माण के लिए 8,000 करोड़ रुपये जारी किए थे। इन्होंने मोदी पर तीर्थस्थल में रहने के बावजूद झूठ बोलने का आरोप लगाया।

सुरजेवाला ने कहा कि मोदी ने तीर्थस्थल की तरफ पीठ कर बोलने को परंपरा का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि मोदी को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तरह 18 किलोमीटर तक की यात्रा करने वाला श्रद्धा भाव दिखाना चाहिए। सुरजेवाल ने मोदी द्वारा भाषण के दौरान पहने ‘इटैलियन चश्मे’ का जिक्र किया।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, “अगर मोदीजी क्रेडिट लेने की राजनीति में संलिप्त नहीं हैं तो, उन्हें इटालियन चश्मा उतारकर श्रद्धा के साथ 18 किलोमीटर की यात्रा करनी चाहिए, जिस श्रद्धा के साथ राहुल जी ने यात्रा की थी।”

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इटालियन मूल की होने की वजह से ‘इटली के चश्मे’ का प्रयोग करते रहते हैं।

मोदी ने केदारनाथ के कपाट अगले छह माह तक बंद होने से पहले मंदिर में पूजा की और उसके बाद सभा को संबोधित करते हुए कहा, “2013 की बाढ़ ने हम सभी को अत्यंत दुखी किया था। उस वक्त मैं प्रधानमंत्री नहीं था, मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। मैं पीड़ितों के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं, वह करने के लिए यहां आया था।”

मोदी ने कहा, “मैंने उस वक्त के मुख्यमंत्री (विजय बहुगुणा) और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी और उन्हें गुजरात द्वारा केदारनाथ को दोबारा से संवारने की पेशकशी की थी। मुलाकात के दौरान वे सहमत हो गए थे और मैंने बाहर आकर मीडिया में यह घोषणा कर दी।”

मोदी ने आरोप लगाया, “लेकिन, जैसे ही यब खबर टीवी पर दिखाई जाने लगी और दिल्ली पहुंची, तो वहां के लोग (यूपीए सरकार) घबरा गए और चंद ही घंटों बाद राज्य सरकार पर दबाव डालकर यह घोषणा कराई गई कि केदारनाथ का पुनर्विकास वहां की सरकार खुद करेगी।”

मोदी ने कहा, “जब इस साल उत्तराखंड में भाजपा की सरकार सत्ता में आई तो मैंने समझ लिया कि केदारनाथ के पुनर्विकास का काम हमारे द्वारा ही किया जाएगा।”

उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री बहुगुणा और कांग्रेस पार्टी ने जून 2013 में केदारनाथ के पुनर्विकास के मोदी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और उनका 3 करोड़ रुपये का चेक भी वापस कर दिया था जो उन 2 करोड़ रुपये के अतिरिक्त था जो गुजरात ने राज्य में बारिश की आपदा से निपटने के लिए दान दिया था।

कांग्रेस और अन्य दलों ने मोदी पर बचाव का ‘रैम्बो’ बनने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की थी। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि वह एक प्राकृतिक आपदा को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं।

मोदी ने शुक्रवार को केदारनाथ में सभा को संबोधित करते हुए, “केदारनाथ में हम जो काम कर रहे हैं, उससे हम यह दिखाना चाहते हैं कि आदर्श ‘तीर्थ क्षेत्र’ कैसा दिखना चाहिए, यह कैसे तीर्थ यात्रियों के मित्रवत होना चाहिए और पुजारियों के कल्याण को महत्व दिया जाना चाहिए।”

मोदी ने कहा, “हम केदारनाथ में गुणवत्ता के बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहे हैं जो आधुनिक होने के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों को भी सहेज कर रखेगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे की पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।”

मोदी केदारपुरी में कई पुनर्निर्माण परियोजनाओं और आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि की मरम्मत कार्य की आधारशिला रखने के बाद बोल रहे थे, जिसे भयंकर बाढ़ में भारी क्षति पहुंची थी।

सुरजेवाला ने सिलसिलेवार ट्वीट कर मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “केदारनाथ धाम की तरफ पीठ कर, बोलकर आपने परंपरा और धरोहर का अपमान किया है।”

उन्होंने कहा, “मोदीजी, बाबा जी सबकुछ जानते हैं। भगवान के चरण में, जुमला और बड़-बड़ी बातों से दूर रहना चाहिए। मंदिर परिसर में भी झूठ। मोदी जी भूल गए कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने 2013 में केदारनाथ के लिए 8000 करोड़ दिए थे।”

मोदी को आड़े हाथ लेते हुए सुरजेवाला ने पूछा, 2013 की विनाशकारी बाढ़ के बाद, क्या केवल मोदी ही उत्तराखंड के पुनर्निर्माण में सक्षम थे? क्या उस समय उत्तराखंड सरकार, लोगों और भगवान शिव के भक्तों द्वारा किए गए पुनर्निर्माण कार्य व्यर्थ हो गए? क्या 130 करोड़ लोगों में मोदी को छोड़ कोई भी केदारनाथ के पुनर्निर्माण के लिए सक्षम नहीं था?

उन्होंने कहा, जब शासक अहंकारी हो जाता है, उसका पतन भी नजदीक आ जाता है।

उन्होंने प्रधानमंत्री से उत्तराखंड के लोगों का ‘अनादर’ नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, भगवान शिव मदद नहीं मांगते है, वह समर्पण मांगते हैं और जो भगवान की भक्ति में खुद को समर्पित कर देता है, उसे उसकी भक्ति का इनाम मिलता है। मोदी को कम से कम भगवान शिव के दरबार में कुछ नम्रता बरतनी चाहिए थी।

उन्होंने कहा कि जिन परियोजनाओं की बात मोदी कर रहे हैं, वे पूर्व की हरीश रावत सरकार की शुरू की हुई हैं।

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